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اپریل, 2019 سے پوسٹس دکھائی جا رہی ہیں

आम बोल चाल वाली ज़बान

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बहुत से हिंदी के और उर्दू के प्रोग्रामों में जा चुका हूं.. लेकिन जहां भारी भरकम अल्फ़ाज़ इस्तेमाल होते हैं...उर्दू में या हिंदी में ...वहां टिक नहीं पाता ... थोड़े ही समय में बाहर आ जाता हूं.. एक बात तो है... किसी भी ज़बान को अच्छे से बोलने-लिखने वाले जितने भी लोग हैं सब लोग रोज़मर्रा की ज़बान की बात तो करते हैं लेकिन पता नहीं क्यों बड़ी बड़ी महफ़िलों में कईं बार इतने भारी-भरकम शब्द कहां से ले आते हैं... हर महफ़िल की एक ऑडिएंस होती है ... पता नहीं क्यों कुछ वक्ता तो जैसे श्रोताओं के सब्र का इम्तिहान सा लेने लगते हैं.. किसी भी ज़बान को इस्तेमाल करते वक्त बहुत मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल करने में कुछ गलती नहीं है..लेकिन ये मुश्किल ज़बान कहां बोली जा रही है, यह ध्यान रखना भी ज़रूरी है। कहीं सेमीनार हो रहा है, रिसर्च स्कॉलर मिल रहे हैं...वहां कलिष्ठ (यही कहते हैं न) हिंदी बोलिए...मुश्किल वाली उर्दू भी बोलिए..लेकिन आम लोगों के जमावड़े के सामने क्या हम अपनी ज़बान को रोज़मर्रा वाली नहीं रख सकते... हिंदी के प्रोग्रामों में जाएं तो वहां पर कईं लोग भाषण करते वक्त इतने इतने मुश्किल अल्फ़ाज़ ...

کبھی الودہ مت کہو دوستو، نہ جانے کہاں پھر ملاقات ہو कभी अलविदा न कहना

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8 अप्रैल को इस वर्कशाप का वेलीडिक्ट्री फंक्शन था ...  सभी शिरका को इस दिन सर्टिफिकेट्स भी मिलने थे...ख़ूब रौनक थी अवधनामा के मीडिया सेंटर में .... पहली पंक्ति में दिख रहे हैं (बाएं से) मो. क़मर ख़ान, अवधनामा के वक़ार रिज़्वी, और डा साबरा हबीब इस प्रोग्राम के मेहमान-ए-ख़सूसी थे ..जनाब ब्रिगेडियर अहमद अली साहब ..जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर भी रह चुके हैं ..और अब बाराबंकी में जहांगीराबाद इंस्टीच्यूट के डॉयरेक्टर हैं... इस में आने वाले सभी विशेष अतिथियों ने उर्दू ज़बान के बारे में अपने जज़्बात सब के सामने रखे .. लेकिन इस पोस्ट को छोटा रखने के लिए मुख़्तसर बात ही करेंगे .. इस प्रोग्राम की निज़ामत करते हुए डा साबरा हबीब  अवधनामा के जनाब वक़ार रिज़्वी साहब के अवधनामा के मीडिया सेंटर पर ही यह वर्कशाप हुई ...उन्होंने भी इस के बारे में अपने ख़्यालात रखे और उर्दू के फ़रोग़ के लिए किसी भी तरह की कोशिशों को प्रोत्साहित करने का वादा किया ... वक़ार साहब बड़े उम्दा वक्ता भी हैं ...कुछ दिन पहले लखनऊ यूनिवर्सिटी में मिर्ज़ा ग़ालिब साहब पर हुए एक सेम...

उर्दू वर्कशाप की एक दोपहर गज़ल और नज़्म के नाम

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पिछली पोस्टों में आपने किश्वरी कनेक्ट उर्दू वर्कशाप के बारे में पढ़ा - किस तरह से वर्कशाप के ट्रेनर्ज़ बड़ी मेहनत से ट्रेनीज़ तक उर्दू ज़बान की मिठास पहुंचा रहे थे ... अब आगे चलते हैं ...7 अप्रैल को वर्कशाप का आठवां दिन था ...और आज आने वाली थीं दो अज़ीम शख़्शियतें -- प्रिंसीपल ऑयशा सिद्दिकी साहिबा और हर दिल अज़ीज जनाब शन्नै नक़वी। अवधनामा के वक़ार रिज़वी साहब ने भी वर्कशाप में बहुत दिलचस्पी ली .. मैडम सिद्दिकी साहिबा प्रिंसीपल रह चुकी हैैं, एक बेहतरीन ट्रेनर तो हैं ही ...साथ ही साथ वह एक उम्दा अफ़सानानिगार भी हैं। और शन्नै नक़वी का भी कोई जवाब नहीं, खुशबख़्ती ही कहिए अगर ऐसी बेलौस शख़्शियतों के साथ कुछ वक्त बिताने का मौक़ा हासिल हो जाए। लखनऊ की विरासत में जो नज़ाकत और नफ़ासत है उस का एक ट्रेलर देखना हो तो आप को मैडम ऑयशा सिद्दिकी साहिबा से मिलना होगा, उन की बातें सुननी होंगी ...बोलचाल में इतनी नरमी और अपनापन...मुझे यहां एक बात याद आ गई ...कुछ महीने पहले किश्वरी कनेक्ट ने आल इंडिया रेडियो लखनऊ के एनांउसरों एवं प्रोग्राम पेश करने वालों के लिए चार दिन की एक वर्कशाप की थी ...यह...

किश्वरी कनेक्ट उर्दू वर्कशाप में डा साबरा हबीब

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इस उर्दू वकर्शाप में पहले पांच दिन जनाब क़मर ख़ान साहब ने उर्दू के हुरूफ़ के बारे में जानकारी दी, इन की सिम्बॉलिक शक्लों के बारे में बताया और लफ़्ज़ बनाते समय कैसे इन हुरूफ़ का मिलान होता है , इस के बारे में बहुत कुछ बताया...आप पांच दिन में जितना उर्दू की इबारत के बारे में सीखने का तसव्वुर कर सकते हैं, उस से भी ज़्यादा ही बताया... वर्कशाप के छठे दिन (5अप्रैल) डा साबरा हबीब साहिबा तशरीफ़ लाईं ...उन्होंने दो दिन तक उर्दू तलफ़्फ़ुज़ के बारे में चर्चा की। उन्होंने बिल्कुल सही फरमाया कि यह कोई क्लॉस नहीं है ...हम कुछ पढ़ाने नहीं आते यहां.....आप से इंटरएक्ट करने आते हैं...और ज़बान के सही इस्तेमाल के लिए तजस्सुस पैदा करना चाहते हैं... बिल्कुल सही बात ...शिरका को भी उन के सैशन बिल्कुल ऐसे लगे जैसे घर की बैठक में गुफ़्तगू चल रही हो ...यही ऐसी तज़िबःकार शख़्शियतों का बड़प्पन होता है कि कितनी सहजता से बड़े से बड़ा सबक़ सिखा जाते हैं... डा साबरा ने रोज़मर्रा की उर्दू , बातचीत वाली उर्दू की बात की .. इस सिलसिले में उन्होंने मिर्जा गालिब के ख़तूत का ज़िक्र किया ..उन की ज़बान की ...

کشوری کونیکٹ اردو ورکشاپ जोशोख़रोश से चल रही है किश्वरी कनेक्ट उर्दू वर्कशाप

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कल मैंने किश्वरी कनेक्ट की उर्दू वर्कशाप के बारे में थोडा़ लिखा था...इस लिंक पर जा कर देख सकते हैं.. उर्दू लिखने, पढ़ने और सही बोलने के लिए किश्वरी कनेक्ट वर्कशाप ... बड़े उत्साह से चल रही है यह उर्दू वर्कशाप ... उर्दू प्रेमी जो इस में शिरकत कर रहे हैं उन का उत्साह देखते ही बनता है। लेकिन वर्कशाप के जो आरगेनाईज़र्ज़ हैं उन का भी जज़्बा भी महसूस करने लायक और क़ाबिले-तारीफ़ है... सीखने वालों को सब कुछ जल्दी से जल्दी सीख लेने की चाहत है और सीखाने वालों को ज़्यादा से ज़्यादा इल्म बांटने की जल्दी है...अभी चार दिन ही हुए हैं और इस वर्कशाप के शिरका रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल होने वाले अल्फ़ाज़ जोड़ कर के लिखने-बोलने लगे हैं -- यहां तक की चार हर्फी अल्फाज़ भी वे चार दिनों के कम समय में समझ कर और हिज्जे लगा कर पूरी समझ के साथ बोलने लगे हैं। अच्छा लगा इस तरह की प्रोग्रैस देख कर ...इन दिनों में इन्होंने उर्दू के तमाम हुरूफ सीख लिए, उन को लिखने की बारीकियां सीखीं, उन के सिम्बोलिक अच्छे से समझे (जो कि उर्दू इबारत में इस्तेमाल होते हैं) और फिर उन पर लगने वाली एराब (जिन्हें हिंद...

उर्दू लिखने, पढ़ने और सही बोलने के लिए किश्वरी कनेक्ट वर्कशाप

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किश्वरी कनेक्ट की जानिब से उर्दू मीडिया सेंटर, अवधनामा हाउस में 31 मार्च 2019 से उर्दू की क्लास शुरू हुई है ... उर्दू ज़बान से मोहब्बत करने वाले लोगों के लिए इस ज़बान को पढ़ने, लिखने और सही बोलने का यह एक सुनहरा मौका है ... फ़िक्र की कोई बात नहीं है वैसे अगर आप की बस इस बार छूट भी गई है क्योंकि किश्वरी कनेक्ट समय समय पर इस तरह के आयोजन करती रहती है.. इस के फेसबुक पेज (Kishwari Konnect) से जुड़ जाइए...सभी सूचनाएं आप को मिलती रहेंगी। 31 मार्च को इस उर्दू वर्कशाप की शुरूआत हुई ... इस ज़बान को सीखने आए सभी आयु वर्ग के लोगों का उत्साह देखते बन रहा था ...हर एक के पास अपनी एक वजह थी इस ज़बान को सीखने की शुरूआत करने के लिए, उस की बात बाद में करते हैं।इस संस्था की सरपरस्त कुलसुम तल्हा ने सभी आने वालों का स्वागत किया .. इस मौक़े पर जनाब आबिद हुसैन थे, और अवधनामा के वक़ार रिज़वी साहब भी मौजूद थे जिन के सहयोग से यह वर्कशाप का आयोजन किया गया। इस मौक़े पर अपने विचार रखते हुए इस किश्वरी कनेक्ट की सरपरस्त कुलसुन तलहा ने इस संस्था से जुड़ने के लिए कहा और उर्दू ज़बान के बोलने-लिखने में ...