उर्दू लिखने, पढ़ने और सही बोलने के लिए किश्वरी कनेक्ट वर्कशाप


किश्वरी कनेक्ट की जानिब से उर्दू मीडिया सेंटर, अवधनामा हाउस में 31 मार्च 2019 से उर्दू की क्लास शुरू हुई है ... उर्दू ज़बान से मोहब्बत करने वाले लोगों के लिए इस ज़बान को पढ़ने, लिखने और सही बोलने का यह एक सुनहरा मौका है ...


फ़िक्र की कोई बात नहीं है वैसे अगर आप की बस इस बार छूट भी गई है क्योंकि किश्वरी कनेक्ट समय समय पर इस तरह के आयोजन करती रहती है.. इस के फेसबुक पेज (Kishwari Konnect) से जुड़ जाइए...सभी सूचनाएं आप को मिलती रहेंगी।

31 मार्च को इस उर्दू वर्कशाप की शुरूआत हुई ... इस ज़बान को सीखने आए सभी आयु वर्ग के लोगों का उत्साह देखते बन रहा था ...हर एक के पास अपनी एक वजह थी इस ज़बान को सीखने की शुरूआत करने के लिए, उस की बात बाद में करते हैं।इस संस्था की सरपरस्त कुलसुम तल्हा ने सभी आने वालों का स्वागत किया .. इस मौक़े पर जनाब आबिद हुसैन थे, और अवधनामा के वक़ार रिज़वी साहब भी मौजूद थे जिन के सहयोग से यह वर्कशाप का आयोजन किया गया।

इस मौक़े पर अपने विचार रखते हुए इस किश्वरी कनेक्ट की सरपरस्त कुलसुन तलहा ने इस संस्था से जुड़ने के लिए कहा और उर्दू ज़बान के बोलने-लिखने में हो रही आम गलतियों के बारे में सचेत रहने को कहा...

स्टेज पर मौजूद सम्मानीय लोगों ने उर्दू ज़बान की मिठास की बात की ...अपने अनुभव साझा किए ....और इस तरह के अशआर सुना कर उर्दू सीखने आए हुए लोगों के उत्साह को और बढ़ा दिया।
سلیقوں سے فذاؤں میں جو خوشبو گھول دیتے ہیں
ابھی کچھ لوگ ہیں جو اردو بول لیتے ہیں 

सलीकों से फ़िज़ाओं में जो ख़ुशबू घोल देते हैं,
अभी कुछ लोग हैं जो उर्दू बोल लेते हैं...


چسم و چراغ کس گھرانے کا ہے کوئی 
یہ ترزے گفتگو کا سلیقہ بتاے گا  


चश्म-ओ-चिराग़ कैसे घराने का है कोई
यह तर्ज़े ग़ुफ़्तग़ू का सलीक़ा बताएगा 

यह हिंदी उर्दू का मिला जुला ब्लॉग शुरू करते वक़्त मैंने यह कहा था कि जहां भी उर्दू ज़बान का सहारा लिया जाएगा...उस बात को हिंदी में भी कहने की कोशिश की जाएगी....गल्तियां ख़ूब होंगी ...हो सके, तो बताइगा..कमैंट्स में ..क्योंकि मैंने कल भी कहा कि हिंदी और इंगलिश में ब्लॉगिंग करते हुए तो 12 साल गुज़र गये ..फिर भी अभी सीख ही रहे हैं....और यह जो साथ में उर्दू को भी शामिल करने का पंगा ले लिया है ....इस से बचकानी हरकत क्या होगी ....क्या है न पहले ज़माने के उस्ताद अलग थे, उन की छोटी सी मेज़ पर पड़ी छड़ी ही हमें हमारी हदों में बांधे रखती थी ...चूंकि अब वह डर रहा नहीं, ऐसे में मेरे जैसे प्राइमरी स्तर से भी कम उर्दू जानने वाले भी उर्दू -हिंदी का गंगा जमुनी ब्लॉग लिखने की जुर्रत कर पा रहे हैं ....क्योंकि अब उस्ताद लोगों से पिटे जाने का डर ख़त्म हो गया है।  😀😁😁



मोहम्मद क़मर ख़ान साहब उर्दू के हुरूफ से शिरका की जान-पहचान करवाते हुए, साथ में है, किश्वरी कनेक्ट की सरपरस्त कुलसुम तलहा


बहरहाल शुरुआत तो कर देनी चाहिए ...सीखने का क्या है, सीखते सीखते उस्ताद लोगों की मेहरबानी से कभी तो सीख ही जाएंगे ...हां, तो बात हो रही थी कि वर्कशाप में आने वाले लोगों की ....सब की एक वजह थी ...सुन कर बहुत अच्छा लगा...एक इंजीनियर नौजवान गज़ल को अच्छे से समझना चाहता है और आगे चल कर ख़ुद लिखना भी चाहता है ...एक मोहतरमा ने कहा कि चूंकि उन के वालिद यह ज़बान बड़ी अच्छी जानते थे इसलिए उन में इसे सीखने का जज़्बा पैदा हो गया ...एक बहुत वरिष्ठ वकील साहब ने बताया कि इतनी उम्र हो गई बस अपने पेशे में ही मशगूल रहे ... बहुत सालों बाद अपने वालिद के चले जाने के बाद जब उन की अलमारी खोली तो उन के हाथ का लिखा बहुत कुछ मिला ...लेकिन ये डॉयरियां उर्दू ज़बान में लिखी हुई हैं ...उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इतनी उर्दू सीख लूंगा कि विरासत में हासिल अपने वालिद की बातें तो पढ़ लूं...इसी तरह से सब आने वालों ने अपनी बात कही...

चलिए, जनाब, आगे चलते हैं....इन सब बातों के बाद ..अब वक़्त आ गया ...पढ़ाई-लिखाई करने का ....और इस ज़बान को इस वर्कशाप में पहले पांच दिन पढ़ाने वाले जनाब मोहम्मद क़मर ख़ान साहब ने पढ़ाना शुरू किया ....ख़ान साहब उर्दू अकॉदमी में उर्दू कोचिंग सेंटर के इंचार्ज हैं और उर्दू टीचिंग के लिए विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित किेए जा चुके हैं..

उर्दू पढ़ने पढ़ाने की शुरूआत हुई ...उर्दू वर्णमाला से ....जिसे कहते हैं ...हुरूफ़तहज्जी .....जिस प्रकार हिंदी में वर्णमाला कहते हैं, उसी प्रकार उर्दू में हुरूफतहज्जी कहते हैं, उर्दू भाषा में कुल 37 अक्षर होते हैं ...अलिफ़, बे, पे, ते, टे, से, जीम, चे, हे, ख़े, दाल, डाल, ज़ाल, रे, ड़े, ज़े, ज़े, सीन, शीन, स्वाद, ज्वाद.......चलिए, इतना ही काफ़ी है अभी के लिए, वरना आप ऊब जाएंगे ...जब उर्दू पढ़ेगें तो अच्छे से सीख ही लेंगे।

वर्कशाप में शिरकत करने वाले सभी लोगों को एक स्टडी-किट दी गई ..जिस में उर्दू की किताब और कापी भी थी । एक जनाब ने अपने मोबाइल पर यह गीत लगाया हुआ था और कह रहे थे कि देखिए, यह भी उर्दू सिखा रहा है ....लीजिए आप भी सुनिए ... इस वर्कशाप के बारे में लिखने को तो और भी बहुत कुछ है ....फिर कभी लिखता हूं...आज के लिए इतना ही ... वैसे इस गीत को मैं रेडियो पर भी कईं बार सुन चुका हूं...  अगर यह वीडियो यहां नहीं चले तो इस लिंक पर जा कर इसे देख सकते हैं...

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